आहुतियाँ देते समय प्रत्येक हवन करने वाले को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- सभी लोग पालथी मारकर सीधे बैठे।
- मध्यमा और अनामिका अँगुलियों पर सामग्री ली जाए और अंगूठे का सहारा देकर उसे कुण्ड में छोड़ा जाए।
- आहुतियाँ झुककर कुण्ड में डालें। इस तरह न फेंकें कि आधी कुण्ड में जाये और आधी बाहर गिरे।
- सभी लोग एक समान स्वर में साथ-साथ मन्त्र बोलें। कोई ऊँची नीची आवाज और आगे-पीछे न बोले। सबकी आवाज सम्मिलित ऐसी प्रतीत हो, मानो एक व्यक्ति ही बोल रहा हो।
- जब ‘स्वाहा’ शब्द बोला जाए, तभी सभी लोग एक साथ आहुतियाँ डालें। इसमें भी हाथों का आगा-पीछा नहीं होना चाहिए।
- घी हवन करने वाले सुवा की पीठ को घृत पात्र के किनारे से पहले से पॉछ लिया करें, ताकि मेखलाओं पर घी न टपके।
- घृत की आहति देने के बाद सवा को लौटाते हए एक बंद घी प्रणीता पात्र में टपकाना चाहिए और साथ-साथ ‘इदं गायत्र्य इदं न मम’ बोलना चाहिए।
- हवन (Havan Yagya) करने वालों के पास पीले दुपट्टे हों तो बहुत ही उत्तम है।
- यज्ञशाला पर अत्यन्त आवश्यक यज्ञ सम्बन्धी बातें सङ्केत में या संक्षिप्त शब्दों में कहनी चाहिए। इधर-उधर की, बेकार की बातें यज्ञशाला पर बिलकुल नहीं करनी चाहिए।
- बिना नहाये, बिना पैर धोये यज्ञशाला में प्रवेश नहीं करना चाहिए, वस्त्र धुले होने चाहिए।
- यज्ञ पर बैठने वाले धोती पहनें।
- इतने छोटे बच्चे यज्ञशाला पर नहीं जाने चाहिए, जिन्हें टट्टी, पेशाब करने में सावधानी बरतने का ज्ञान न हो।
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